कण कण में व्याप्त मैं भी, तेरे संग गुफाओं में, हवाओं में, तेरे संग सागर में, शिलाओं में, तेरे संग शरीर की शिराओं में, तेरे संग केश कोशिकाओं में, तेरे संग कण कण में नर्तन करती, तेरे संग पतन में, उत्थानों में, तेरे संग आंधी औ तूफानों में, तेरे संग कीचड़ खलिहानों में, तेरे संग… Continue reading कण कण में व्याप्त मैं भी
Category: शब्द रचनाएँ
मेरी कई माँ हैं
हिन्दी मेरी देवकी है, अंग्रेजी मेरी यशोदा। मारवाड़ी मेरी दादी-माँ है, बंगाली मेरी मासी-माँ। संस्कृत मेरी बड़ी दादी माँ हैं। इन्होंने सभी ने अपने अपने ढंग से मेरा पोषण किया है और मेरे लिए यह सभी अति-महत्वपूर्ण हैं। भारत की और विश्व की अन्य सभी भाषाएं भी मेरी मासी-माँ* हैं। मैं उनमे से कई को… Continue reading मेरी कई माँ हैं
one word poem
एक शब्द की कविता तुम. एक शब्द में पृथ्वी सारी तुम एक शब्द में सृष्टि सारी तुम क्या रिश्ता होगा जब तुम ही हो यह वाणी तेरी – तुम a one word poem you. in one word entire earth you in one word the universe you relationship? not possible when there’s only one- you this… Continue reading one word poem
अगर सुनो तो
तारे जड़े हैं ज़िन्दगी में अंधियारे बिछे हैं ज़िन्दगी में और साँसों की लहर सहला जाती है … अगर सुनो तो ~ वाणी मुरारका इस कविता का अंग्रेज़ी में अनुवाद (मेरे ही द्वारा): stars are studded in our life darkness laid out in our life and the gentle flow of breath, ever soothing… if you… Continue reading अगर सुनो तो
अनन्त आकाश गर्भ
एक जगह है – जहाँ न हिन्दी है न अंग्रेज़ी – न शब्द न अक्षर| ध्वनि का गर्भ है ये| देश, संस्कृति, धर्म, विचार के पहले का अनन्त आकाश गर्भ …
नाँव एक विचार की
नाँव एक विचार की
और लय पतवार सी
ऐसी कोई रचना हो
जीवन धारा पर बहती …
नभ मण्डल में
नभ मण्डल में बड़ी छटा सी
पंख खोल कर उड़ान भरती
ईश्वर के वाहन का वैभव
उसके अंतस में पलता है …
अदृश्य दृश्य
मेरे प्यारे डिजिटल जगत के लिए, उन दो अंक के लिए जिसके बलबूते पर यह सारा डिजिटल जगत चलता है –
शिव तुमको ही अर्पित हूँ –
शिव तुमको ही अर्पित हूँ मासूम सुमन भोली सी …
अब ब्लॉग जगत में अपनी हिंदी रचनाएँ भी पेश कर रही हूँ, इस कृति से शुरुआत करके