शिव तुमको ही अर्पित हूँ मासूम सुमन भोली सी
ब्रह्मांगन में तेरे अब मां खेलूं मैं हिरणी सी
ब्रह्मांगन में तेरे अब मां खेलूं मैं हिरणी सी
श्री-उपहार नए जीवन का, प्रेम-सुधा वरदान
उर में सतरंगी सुख लाया तेरा वीर्य महान
मधु-कली सी वाणी मेरी हरित करे जन मन को
वसुन्धरा पर माँ अब तेरे दे दूँ मैं तन मन को
तेरा हाथ पकड़ चलना है ओ मेरे रखवारे
पथ आलोकित करते चलना सत्-करुणा उर वारे
~ वाणी मुरारका
ब्रह्मांगन में तेरे अब मां खेलूं मैं हिरणी सी
आइए जी… 🙂 स्वागत ब्लॉग विश्व में—
बहुत सुन्दर रचना