नभ मण्डल में बड़ी छटा सी
पंख खोल कर उड़ान भरती
ईश्वर के वाहन का वैभव
उसके अंतस में पलता है
एकल जीवन बीच सभी के
दिशाहीन सी लगती तो है
आज वही करना है जो वह
कह दें उसी दिशा मुड़ना है
क्या बन जाए पता नहीं है
बस विश्वास दीप जलता है
उठ चल दिन आरम्भ करें फिर
देखें इस दिन क्या घटता है
ईश्वर के वाहन का वैभव
मेरे अंतस में पलता है
उम्दा अभिव्यक्ति…अंतिम 2 पंक्तियाँ बेहद सुन्दर।