कण कण में व्याप्त मैं भी, तेरे संग
गुफाओं में, हवाओं में, तेरे संग
सागर में, शिलाओं में, तेरे संग
शरीर की शिराओं में, तेरे संग
केश कोशिकाओं में, तेरे संग
कण कण में नर्तन करती, तेरे संग
पतन में, उत्थानों में, तेरे संग
आंधी औ तूफानों में, तेरे संग
कीचड़ खलिहानों में, तेरे संग
मनुष्य की मुस्कानों में, तेरे संग
कण कण में व्याप्त मैं भी, तेरे संग
दर्द हाहाकारों में, तेरे संग
घोर अन्धकारों में, तेरे संग
कुन्ठित व्यापारों में, तेरे संग
प्यार के व्यवहारों में, तेरे संग
कण कण में नर्तन करती, तेरे संग
फूलों में, पत्तियों में, तेरे संग
वाणी में खामोशीयों में, तेरे संग
ब्रह्म ज्योति रश्मियों में, तेरे संग
प्रलय और सृष्टियों में, तेरे संग
कण कण में व्याप्त मैं भी, तेरे संग